तोदरी

तोदरी क्या है? (What is Todari)

तोदरी सफेद, लाल और पीले बीजों के आधार पर यह तीन प्रकार की होती है। पीले बीज वाली तोदरी गुणों में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह 30 सेमी ऊँचा, लघु आकारीय कांटा वाला, शाकीय पौधा होता है। इसके पत्ते लंबे तथा संकीर्ण होते हैं। इसके फूल उभयलिंगी, छोटे, सफेद रंग के सहपत्र रहित, बाह्यदल 0.7-1 मिमी लम्बे, दल 1-1.5 मिमी लम्बे होते हैं। इसके बीज मसूर के दाने के समान, किन्तु बहुत छोटे तथा चपटे, 2.5-3.5 मिमी लम्बे होते हैं। इसकी फलियां बहुत छोटी होती हैं। 



तोदरी का वानास्पतिक नाम Lepidium virginicum Linn. (लेपिडियम वर्जिनिकम) Syn-Lepidium iberis Linn. है। इसका कुल Brassicaceae (ब्रेसीकेसी) है और इसको अंग्रेजी में Pepper grass (पैपर ग्रास) कहते हैं।


आयुर्वेद में तोदरी का इस्तेमाल बहुत तरह के औषधी बनाने के लिए किया जाता है। तोदरी तीन तरह की होती है लेकिन इसमें पीले बीज वाली तोदरी का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है। पीले बीज वाली तोदरी गुणों में श्रेष्ठ मानी जाती है। तोदरी किन-किन बीमारियों के लिए प्रयोग किया जाता है, इसके बारे में आगे विस्तार से जानते हैं।

तोदरी के फायदे और उपयोग (Uses and Benefits of Todari) 

 

 दस्त को रोकने में फायदेमंद (To Treat Diarrhoea)

असंतुलित खान-पान या किसी संक्रमण के कारण यदि दस्त की समस्या हो रही है तो तोदरी के पञ्चाङ्ग का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में सेवन करने से जीर्ण अतिसार में लाभ होता है।

 

श्वास नली की सूजन को कम करने में (To Treat Bronchidal Inflammation)

यदि मौसम के बदलाव के कारण श्वसनिका में सूजन होता है तो तोदरी के बीजों का फाण्ट बनाकर 10-20 मिली मात्रा में सेवन करने से श्वसनिका-शोथ में लाभ होता है।


पेशाब में खून आने की बीमारी में फायदेमंद (In Blood in Urine)

पेशाब से खून निकलने पर तोदरी का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में सेवन करने से रक्तमेह में लाभ होता है।


मूत्र के समय दर्द के इलाज में फायदेमंद (To Treat Urinary Diseases)

अगर पेशाब करते वक्त दर्द या जलन होता है तो तोदरी का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पीने से मूत्रकृच्छ्र में लाभ होता है।


ब्रेस्ट के साइज बढ़ाने में (To Increase the size of Breast)

ब्रेस्ट की साइज को बढ़ाने के लिए 2-3 ग्राम तोदरी चूर्ण में समान मात्रा में शतावरी चूर्ण तथा मिश्री मिलाकर दूध के साथ सेवन करने से स्तन्य की वृद्धि होती है


 सुजाक में फायदेमंद (In Gonorrhea)

7-7 ग्राम शतावरी, मूसली, केवाँच, तोदरी, तालमखाना, प्रवाल पिष्टी तथा रजत भस्म, 6-6 ग्राम विदारीकंद, छोटी इलायची, गोखरू तथा मुस्ता, 3-3 ग्राम सालिम, शिलाजीत, 6-6 ग्राम कंकोल तथा मोचरस, 12 ग्राम वंग भस्म तथा लगभग 200 ग्राम मिश्री के सूक्ष्म चूर्ण को मिलाकर 2-4 ग्राम की मात्रा में दाड़िमी शर्करा के साथ सेवन करने से पूयमेह तथा पित्तज प्रमेह में लाभ होता है।


सूजन को कम करने में (To Treat Inflammation)

सूजन को कम करने के लिए तोदरी को पीसकर लेप करने से सूजन एवं घाव को ठीक करने में मदद मिलती है।

 

गठिया के दर्द (To Get Relief from Gout)

तोदरी का औषधीय गुण गठिया के दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है। तोदरी पत्ते को पीसकर लगाने से आमवात में लाभ होता है। इसके अलावा तोदरी के फूलों को जैतून या तिल तैल में पकाकर, छानकर तेल की मालिश करने से संधिवात में लाभ होता है।


कमजोरी दूर करने में (To Treat Weakness)

2-3 ग्राम तोदरी चूर्ण में समान मात्रा में मिश्री मिलाकर दूध के साथ सेवन करने से कमजोरी दूर होती है तथा शरीर को पुष्टि मिलती है। चिकित्सक के सलाह के अनुसार 3-6 ग्राम का सेवन कर सकते हैं।

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