20 Feb
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कहते है कि जिम कार्बेट नेशनल पार्क में सफारी की यात्रा करना पर्यटकों के लिए बेहद यादगार साबित होता है, क्योंकि यहाँ के निवासी जानवर, पक्षियों और सरीसृपों के के साथ यहाँ पर्णपाती जंगल और कई छोटी नदियां इस जगह को बेहद खास और आकर्षक बनाती हैं। जिसके चलते यहां पर सफारी पर थोड़े पैसे खर्च करने में आपको कोई झिझक महसूस नहीं होगी। जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाने वाले वनस्पतियों और जीवों को देखने के लिए तीन तरह से सफारी कर सकते हैं जैसे कैंटर सफारी, जीप सफारी और एलिफेंट सफारी। अगर यहां आने वाले पर्यटक अपनी यात्रा कर पूरी तरह से आनंद उठाना चाहते हैं तो सफारी की यात्रा करना उनके लिए बेहद जरुरी है। वैंसे जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क की यात्रा पूरे साल यात्रा कर सकते हैं लेकिन इसकी यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा समय नवंबर और फरवरी के बीच होता है। क्योकि सर्दियों के मौसम के दौरान सभी क्षेत्र खुले होने की वजह से अधिक जानवरों को देखा जा सकता है। यदि आप जब भी जाना चाहेँ तो अपना आधार कार्ड ले जाना न भूलें। क्योंकि पाँच वर्ष से अधिक आयु पर आधार कार्ड कम्पलसरी कर दिया गया है। मैँने भी बच्चों के साथ 13 फरवरी को मन में सफारी की इच्छा लिए पलवल से अपनी यात्रा की। हम बच्चों सहित कुल मिलाकर 10 थे। हमने मिनी  टूरिस्ट बस किराये पर ली और यात्रा आरम्भ की। गाड़ी को वैशाली की ओर घुमाया, बच्चों को बैठाया और आगे की ओर बढ़ लिए। 

सांय पांच बजे वासवाना रिर्जोट पहुचें। वहाँ पर लाइव म्यूजिक के साथ बोन फायर का खूब आन्नद उठाया। बच्चों ने स्वीमिंग पूल में मौज़-मस्ती की। नजदीक ही  गर्जिया देवी मन्दिर चले गये। कहते हैं कि यह एक प्रसिदध् मन्दिर है। जो सुन्दरखाल नामक गाँव में बसा यह मंदिर रामनगर से लगभग 15 किमी की दूरी पर स्थित है।

 यह गर्जिया मन्दिर छोटी-सी पहाड़ी के चोटी पर बना हुआ है। कोसी नदी इस मन्दिर के निकट से ही होकर बहती है। बताते हैं कि यह मंदिर माता पार्वती के प्रमुख मंदिरों में से एक है। मां पार्वती का एक नाम “गिरिजा” भी है। गिरिराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें इस नाम से पुकारा जाता है । कत्यूरी राजाओं के काफी पहले इस स्थान पर कुरु राजवंश व अन्य कई राजवंशों ने शासन किया था | कत्यूरी राजवंश के अतिरिक्त चन्द्र राजवंश, गोरखा वंश और अंग्रेज शासकों ने यहाँ शासन किया था | महाभारत के समय यह राज्य इन्द्रप्रस्थ साम्राज्य (आधुनिक दिल्ली) के आधिपत्य में था | गर्जिया देवी को पहले “उपटा देवी” के नाम से जाना जाता था। यहाँ पर हमने खूब फोटो ली। 

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दोपहर दो बजे हमारी जीप सफारी का समय था, इससे पहले हमने यहाँ की पूरी जानकारी ले ली। उनके अनुसार जिम कार्बेट नेशनल पार्क को पाँच सफारी जोन में बाँटा गया हैं। बिजरानी जोन, झिरना जोन, दुर्गादेवी जोन, ढेला जोन और ढिकाला जोन। हमने दुर्गा देवी जोन जाने का निश्चय किया, क्योंकि कहते हैं कि हमारे प्रधानम़त्री साहब भी उसी जोन में गये थे।  इसकी इन्ट्री का समय नियमानुसार सुबह सात से दस और दोपहर दो से साढे पाँच बजे हैं। हमने दोपहर का समय चुना ताकि बच्चे आसानी से तैयार हो सके। ठीक दो बजे हम जीप में बैठ गये और जंगल को चल दिए। हिरन, बीयर और कई छोटे-छोटे जानवर दिखाये। परन्तु टाइगर की शक्ल नज़र नहीं आई। हांलाकि बच्चों ने खूब लुत्फ उठाया। सांय साढे पांच बजे वापिस रिर्जोट पहुंचे। अगले दिन हम सब वापिस चल दिए।








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